एक माँ का आक्रोश
एक आक्रोश, एक चीख़, एक हादसाक्या यही इन्साफ हैं ?
ऐसे कितने जान, ऐसे कितने इज्जत
और लुटे जाएंगे और सब जागरूक होंगे?
एक किस्सा खत्म तो दूसरी कहानी शुरू
अकबार के पहले पन्ने से दुसरे पन्ने में
चला जाता हैं "न्यूज"
ज़िन्दगी आगे बड़जाती हैं।
कभी राजा ने जानना लूटा तो
अब कोई भी किसी की भी इज्जत लूटता हैं।
वक़्त बदल गए, कानून बदल गए पर
दांव पर हमेशा किसी की इज्जत ही लूटी हैं।
ऐसा क्या सीख दूँ मैं अपने बेटे को
ऐसा क्या पाठ पढ़ाऊं में अपने कलेजे के टुकड़े को
जो औरत की इज्जत करना सीखे
और इज्जत लूटने को मर्दानगी ना समझे ??
- Heart felt tears after reading the news of another 4 yr old girl being raped in Bangalore School.
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